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मनी लॉन्ड्रिंग…100 मिलियन डॉलर की रिश्वत, जंग के बीच बड़ी मुसीबत में फंसे जेलेंस्की

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Posted On:Thursday, November 13, 2025

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की, जो एक तरफ रूस के साथ चल रहे भीषण युद्ध का सामना कर रहे हैं, उन्हें अब अपने ही घर में एक नई राजनीतिक मुसीबत ने घेर लिया है। यह नई परेशानी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के रूप में सामने आई है, जिसने उनके करीबी सहयोगियों के घेरे को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है।

यह मामला सीधे तौर पर राष्ट्रपति जेलेंस्की पर नहीं है, लेकिन उनके व्यापारिक सहयोगी और उनकी पूर्व कॉमेडी कंपनी 'क्वार्टल 95' (Kvartal 95) के सह-मालिक तैमूर मिंडिच पर लगे 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भारी रिश्वत लेने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से जुड़ा है। इन आरोपों ने न केवल जेलेंस्की प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि युद्ध के समय यूक्रेनी राजनीति में एक बड़ा विस्फोट कर दिया है।

तैमूर मिंडिच पर लगे गंभीर आरोप

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तैमूर मिंडिच पर रिश्वतखोरी और अवैध धन हस्तांतरण (मनी लॉन्ड्रिंग) के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि मिंडिच ने अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर अवैध कमाई की। यूक्रेन के राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (NABU) के अनुसार, मिंडिच ने एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी के ठेकेदारों से लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत और कमीशन लिया।

इसके साथ ही, मिंडिच पर फर्जी कागजातों और शैल कंपनियों के इस्तेमाल से इस अवैध धन की मनी लॉन्ड्रिंग करने का भी आरोप है। यह स्पष्ट रूप से सत्ता का दुरुपयोग और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का मामला है, जो देश के कानून और नैतिकता दोनों को चुनौती देता है। मिंडिच के इस कृत्य ने राष्ट्रपति को ऐसी स्थिति में डाल दिया है जहां उन्हें अपने ही विश्वस्त व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ रही है। हालांकि, मामले के खुलासे के बाद तैमूर मिंडिच पहले ही यूक्रेन छोड़कर जा चुके हैं, जिससे जांच और उनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया जटिल हो गई है। मिंडिच का देश से भाग जाना इन आरोपों को और भी बल देता है।

जनता का दबाव और विश्वास का संकट

इस घोटाले के सामने आने के बाद यूक्रेनी जनता में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। युद्ध की विभीषिका झेल रहे लोगों ने राष्ट्रपति जेलेंस्की पर अपने सहयोगी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का दबाव बनाया है। इस दबाव के चलते ही जेलेंस्की को सार्वजनिक रूप से अपने पूर्व सहयोगी पर पाबंदी लगाने का वादा करना पड़ा। यह कार्रवाई राष्ट्रपति की भ्रष्टाचार विरोधी प्रतिबद्धता को दर्शाने की दिशा में एक कदम है।

इस घटनाक्रम पर राजनीतिक विश्लेषक फेसेंको की टिप्पणी भी सामने आई है, जो जेलेंस्की की निर्णय क्षमता और भरोसे पर सवाल उठाती है। फेसेंको ने कहा कि, "जेलेंस्की उन लोगों पर भरोसा करते हैं जिन पर उन्हें नहीं करना चाहिए, और कई बार उन्हें इसके नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़े हैं। मिंडिच के मामले में उन्होंने जरूरत से ज्यादा भरोसा किया। इस तरह भरोसा रखने का बुरा अंजाम हो सकता है।"

यह भ्रष्टाचार का मामला ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से वित्तीय सहायता और सैन्य समर्थन मांग रहा है। इस तरह के हाई-प्रोफाइल घोटाले अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के सामने कीव प्रशासन की छवि को धूमिल कर सकते हैं, जिससे देश की युद्ध प्रयासों पर सीधा असर पड़ सकता है। जेलेंस्की को अब न केवल रूस से लड़ना है, बल्कि अपने ही भीतर पनप रहे भ्रष्टाचार और विश्वासघात के खिलाफ भी लम्बी लड़ाई लड़नी है।

आगे की राह

राष्ट्रपति के लिए यह दोहरी चुनौती है: उन्हें युद्ध में राष्ट्र का नेतृत्व करना है और साथ ही सरकारी संस्थानों में नैतिकता और पारदर्शिता बनाए रखनी है। यह देखना बाकी है कि राष्ट्रपति इस गहन संकट से कैसे निपटते हैं और जनता का विश्वास कैसे बहाल करते हैं


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